बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत बीए सेमेस्टर-1 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत
प्रश्न- संस्कृत व्याकरण का इतिहास क्या है?
उत्तर-
संस्कृत का व्याकरण वैदिक काल में ही स्वतंत्र विषय बन चुका था। नाम आख्यात, उपसर्ग और निपाल - ये चार आधारभूत तथ्य यास्क (ई.पू. लगभग 700) के पूर्व ही व्याकरण में स्थान पा चुके थे। पाणिनी पू. लगभग 550) के पहले कई व्याकरण लिखे जा चुके थे। जिनमें केवल अपिशलि और काशकृत्स्न के कुछ सूत्र आज उपलब्ध हैं। किन्तु संस्कृत व्याकरण का क्रमबद्ध इतिहास पाणिनि से आरंभ होता है।
व्याकरण शास्त्र का वृहद इतिहास है किन्तु महामुनि पाणिनि और उनके द्वारा प्रणीत अष्टाध्यायी ही इसका केन्द्र बिन्दु हैं। पाणिनि ने अष्टाध्यायी में 3665 सूत्रों की रचना कर भाषा नियमों को व्यवस्थित किया जिसमें वाक्यों में पदो का सकलन, पदों का प्रकृति प्रत्यय विभाग एवं पदों की रचना आदि प्रमुख तत्व है। इन नियमों की पूर्ति के लिए धातु पाठ, गण पाठ तथा उणादि सूत्र भी पाणिनि ने बनाये। सूत्रों में उक्त अनुक्त एवं दुरुक्त विषयों का विचारकर काव्यायन ने वार्तिक की रचना की। बाद में महामुनि पतञ्जलि ने महाभाष्य की रचना कर संस्कृत व्याकरण को पूर्णता प्रदान की। इन्हीं तीनों आचार्यों को त्रिमुनि के नाम से जाना जाता है। प्राचीन व्याकरण में इनका अनिवार्यत अध्ययन किया जाता है।
नव्य व्याकरण के अन्तर्गत प्रक्रिया क्रम के अनुसार शास्त्रों का अध्ययन किया जाता है जिसमें भट्टोजी दीक्षित, नागेश भट्ट और आदि आचार्यों के ग्रन्थों का अध्ययन मुख्य है। प्राचीन व्याकरण एवं नव्य व्याकरण दो स्वतंत्र विषय हैं।
पाणिनि - पाणिनि ने वैदिक संस्कृत और लौकिक संस्कृति दोनों के लिए अष्टाध्यायी की रचना की। अपने लगभग चार हजार सूत्रों में उन्होंने सदा के लिए संस्कृत भाषा को परिनिष्ठित कर दिया। उनके प्रत्याहार, अनुबंध आदि गणित के नियमों की तरह सूक्ष्म और वैज्ञानिक हैं। उनके सूत्रों में व्याकरण और भाषाशास्त्र सम्बन्धी अनेक महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेश है।
काव्यायन - काव्यायन ने (ई.पू. लगभग 300) पाणिनि के सूत्रों पर लगभग 4265 वार्तिक लिखे पाणिनि की तरह उनका भी ज्ञान व्यापक था। उन्होंने लोकजीवन के अनेक शब्दों का संस्कृत में समावेश किया और न्यायों तथा परिभाषाओं द्वारा व्याकरण का विचार क्षेत्र विस्तृत किया। आपको वार्तिककार की उपाधि से सम्बोधित किया जाता है।
पतञ्जलि - पतञ्जलि ने (ई.पू. 150) महाभाष्य की रचना की। महाभाष्य आकर ग्रन्थ है। इसमें प्रायः सभी दार्शनिक वादों के बीच हैं। इसकी शैली अनुपम है। इस पर अनेक टीकायें मिलती हैं जिसमें भर्तृहरि की त्रिपदी. कैयट का प्रदीप और शेषनारायण का 'सूक्तिरत्नाकर प्रसिद्ध हैं। सूत्रों के अर्थ, उदाहरण आदि समझाने के लिए कई वृत्तिग्रथ लिखे गये थे जिनमें काशि का वृत्ति (छठी शताब्दी) महत्वपूर्ण है। जयादित्य और वामन नाम के आचार्यों की यह एक रमणीय कृति है। इस पर जिनेंद्रबुद्धि (लगभग 650 ई.) की।
पाणिनि के सूत्रों के क्रम बदलकर कुछ प्रक्रियाग्रंथ भी लिखे गये जिनमें धर्मकीर्ति (ग्यारहवी शताब्दी) का रूपावतार, रामचंद्र (ई. 1400) की प्रक्रिया कौमुदी, भट्टोजी दीक्षित की सिद्धान्तकौमुदी और नारायण भट्ट (सोलहवीं शताब्दी) का प्रक्रियासर्वस्व उल्लेखनीय हैं। प्रक्रियाकौमुदी पर विट्ठलकृत "प्रसाद" और शेषकृष्णरचित "प्रक्रिया प्रकाश' पठनीय हैं। सिद्धान्तकौमुदी की टीकाओं में प्रौढमनोरमा पर हरि दीक्षित का शब्दरटन भी प्रसिद्ध है।
नागेश भट्ट (ई. 1700) के बाद व्याकरण का इतिहास धूमिल हो जाता है। टीकाग्रन्थों पर टीकाये मिलती हैं। किसी-किसी में न्यायशैली दिखाई पडती है। पाणिनिसप्रदाय के पिछले दो सौ वर्ष के प्रसिद्ध टीकाकारों में वैद्यनाथ पायुगुंड, विश्वेश्वर, ओरमभट्ट, भैरव मिश्रा, राघवेद्राचार्य गजेद्रगडकर, कृष्णमित्र, नित्यानंद पर्वतीय एवं जयदेव मिश्र के नाम आज भी उल्लेखनीय हैं।
व्याकरण के अंग- व्याकरण के तीन अंग होते हैं- वर्ण विचार, शब्द विचार एवं वाक्य विचार। वर्ण विचार के अन्तर्गत वर्णों से सम्बन्धित उनके आकार, उच्चारण, वर्गीकरण तथा उनके मेल से शब्द बनाने के नियम आदि का उल्लेख किया जाता है।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूगोल एवं खगोल विषयों का अन्तः सम्बन्ध बताते हुए, इसके क्रमिक विकास पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए दोनों शास्त्रों के परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- संस्कृत व्याकरण का इतिहास क्या है?
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- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास से पूर्वकाल में संस्कृत काव्य के विकास पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्यगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के पश्चात् होने वाले संस्कृत काव्य के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय देते हुए यह भी बताइये कि उन्होंने रामायण की रचना कब की थी?
- प्रश्न- क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि माघ में उपमा का सौन्दर्य, अर्थगौरव का वैशिष्ट्य तथा पदलालित्य का चमत्कार विद्यमान है?
- प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।
- प्रश्न- आचार्य पाणिनि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- आचार्य कात्यायन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आचार्य पतञ्जलि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आदिकवि महर्षि बाल्मीकि विरचित आदि काव्य रामायण का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- महाभारत के रचयिता का संक्षिप्त परिचय देकर रचनाकाल बतलाइये।
- प्रश्न- महाकवि भारवि के व्यक्तित्व एवं कर्त्तव्य पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- महाकवि भारवि की भाषा शैली अलंकार एवं छन्दों योजना पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- वाल्मीकि रामायण में कितने काण्ड हैं? प्रत्येक काण्ड का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- महाभारत का मुख्य रस क्या है?
- प्रश्न- क्या महाभारत विश्वसाहित्य का विशालतम ग्रन्थ है?
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- प्रश्न- भारवि का 'आतपत्र भारवि' नाम क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्' तथा 'आर्जवं कुटिलेषु न नीति:' भारवि के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'महाकवि माघ चित्रकाव्य लिखने में सिद्धहस्त थे' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
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- प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
- प्रश्न- श्री हर्ष की रचनाओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
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- प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'काश्यां मरणान्मुक्तिः' श्री हर्ष ने इस कथन का समर्थन किया है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'नैषध विद्वदौषधम्' यह कथन किससे सम्बध्य है तथा इस कथन की समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- महाकवि भारवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्य प्रतिभा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारवि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की रस योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
- प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कालिदास की भाषा की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कालिदास की रसयोजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'नीतिशतक' में लोकव्यवहार की शिक्षा किस प्रकार दी गयी है? लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की कृतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नीतिशतक का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- धीर पुरुष एवं छुद्र पुरुष के लिए भर्तृहरि ने किन उपमाओं का प्रयोग किया है। उनकी सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्या प्रशंसा सम्बन्धी नीतिशतकम् श्लोकों का उदाहरण देते हुए विद्या के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि की काव्य रचना का प्रयोजन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि के काव्य सौष्ठव पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 'लघुसिद्धान्तकौमुदी' का विग्रह कर अर्थ बतलाइये।
- प्रश्न- 'संज्ञा प्रकरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- माहेश्वर सूत्र या अक्षरसाम्नाय लिखिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
- प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
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